भगवत प्राप्ति का सर्वश्रेष्ठ साधन है भक्ति: बदरी प्रपन्नाचार्य

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मुख्तियारगंज में बह रही भागवत कथा रसधार, कृष्ण जन्म में जमकर नाचे भक्तगण

सतना। नगर के धीरेंद्र गैस एजेंसी के पीछे मुख्तियारगंज निवासी सत्यनारायण त्रिपाठी सेवा निवृत्त संपत्ति कर अधिकारी नगर निगम के निज निवास में चल रही श्रीमदभागवत कथा के चतुर्थ दिवस श्री 1008 श्री राजगुरु स्वामी बदरी प्रपन्नाचार्य जी महाराज चित्रकूट ने कहा कि सभी मनुष्य सुख एवं शांति चाहते हैं लेकिन भौतिक, ऐश्वर्य, पद, प्रतिष्ठा में शांति सुख नहीं बल्कि सच्चा सुख तो परमात्मा के भजन में है।

उन्होंने कहा कि ईश्वर की प्राप्ति ही जीव का लक्ष्य है। परमात्मा को पाने के लिए ऋषियों ने अनेक साधना मार्ग बताये हैं। अष्टांग योग, सांख्य योग, ज्ञान, ध्यान, तप, यज्ञ, अनुष्ठान आदि मनुष्य को करना चाहिए। लेकिन प्रेम भक्ति योग भगवत प्राप्ति का सर्वश्रेष्ठ साधन है। सम्पूर्ण समर्पण का नाम ही भक्ति है। शास्त्रानुसार भक्ति नौ प्रकार की होती है। जिसे नवधा भक्ति कहते हैं। श्रवण, कीर्तन, स्मरण, पाद सेवन, अर्चन, वंदन, दास्य, सख्य एवं आत्म निवेदन इस प्रकार की नौ भक्तियां करता हुआ भक्त शीघ्र ही परमात्मा को प्राप्त कर लेता है।

उन्होंने कहा कि सुखदेव, सनत कुमार, भगवान शंकर आदि भी समाधि छोड़कर भगवान की कथा कहते हैं और सुनते हैं। भू-भार हरण करने के लिए पापी दुष्ट शिशुपाल, दंत वक्र, कंस, जरासंध आदि का संहार करने के लिए एवं भक्त, संतजनों की रक्षा करने और धर्म की स्थापना करने के लिए पूर्ण ब्रह्मा ने भगवान कृष्ण के रूप में अवतार लिया था। भगवान के अवतार का प्रमुख हेतु भक्तगण हैं। भक्तों के लिए विशेष रूप से भगवान का अवतार होता है। 

श्री स्वामी जी ने बताया कि भगवान हमेशा अपने भक्तों की स्वयं रक्षा किया करते हैं वाले प्रसंग से सभी भक्त बहुत आनंदित हुए। राजा सगर के साठ हजार पुत्रों का कपिल मुनि द्वारा भस्म होना, गंगा जी द्वारा उनका उद्धार, भगवान भोले की कृपा से गंगा जी पृथ्वी पर,भगीरथ के पीछे-पीछे सागर के सभी पुत्रों का उद्धार, गंगा जी द्वारा जीव को पवित्र करना, भागवत रूपी गंगा द्वारा मानव को पवित्र किया जाना,राम जी के सुंदर चरित्रों का वर्णन तथा उसके बाद भगवान श्री कृष्ण के जन्म की कथा, वसुदेव और बालकृष्ण की बहुत सुंदर झांकी के साथ वर्णित की गई। आज की कथा के अंत में कृष्ण जन्म हुआ जिसमें बधाई गीत गाए गए भक्तगण खूब जमकर नाचे गाए।

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