बुलन्द आवाज ने आँगन बाडी कार्यकर्ता सहायिका को नियमित करने के लिए भरी हुन्कार

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-सतना , म प्र बुलन्द आवाज नारी शक्ति आगनबाडी कार्यकर्ता सहायिका सन्गठन जिला इकाई सतना ने शासन को नीद से जगाने के लिए सैकड़ों की संख्या में कार्यकर्ता सहायिका काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन करते हुए कलेक्ट्रेट सतना मे अपने नियमितीकरण के लिए शासन की हठधर्मिता के खिलाफ हुन्कार भरी व आठ सूत्रीय माँग पत्र एस डी एम शहर सतना नीरज खरे को सौपकर मुख्यमंत्री , मुख्य सचिव , प्रमुख सचिव महिला एवं बाल विकास विभाग विभाग के नाम सौंपा । प्रदर्शन का नेतृत्व सन्गठन की अध्यक्ष अन्जू सिंह बघेल व अधिकारी कर्मचारी सन्युक्त मोर्चा जिला सतना के अध्यक्ष बालमीक शुक्ल ने किया । इस अवसर पर म प्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी सन्घ के अध्यक्ष विकल्प गौतम प्रान्तीय महामन्त्री व सन्युक्त मोर्चा सन्योजक आर डी द्विवेदी , बुलन्द आवाज के सन्ररक्षक एस डी निगम सचिव सुषमा श्री वास्तव उपाध्यक्ष राजकुमारी मिश्रा कार्यकारिणी सदस्य मीना पाण्डेय , कलावती तिवारी सहित सैकड़ों पदाधिकारी प्रदर्शन मे सम्मिलित रहे । केंद्र सरकार ने वर्ष 2018 में कार्यकर्ता के मानदेय मे मात्र 1500 रूपये प्रतिमाह की बढोतरी की थी किन्तु राज्य सरकार को यह रास नही आया व म प्र की सरकार ने अपने द्वारा बढाई मानदेय की राशि मे कटौती कर 7000रूपये से घटाकर 5500 रूपये प्रतिमाह कर दिया गया जो पहला उदाहरण होगा जब मानदेय की राशि घटाई गयी है ।अक्तूबर 2018 से बढी मानदेय की राशि को पूर्वत कर भुगतान की राह कार्यकर्ता सहायिका देख रही है । विगत 40 वर्ष से चल रही योजना के बाबजूद इन्हे दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी की तरह भी स्थाई कर्मी नही बनाया गया है ।स्थाई कर्मी बनाने की योजना का क्रियान्वयन म प्र मे वर्ष 2016 से हो रहा है ।केंद्र सरकार की मिशन शक्ति योजना जो हाल ही में म प्र मे भी क्रियान्वयन के लिए तैयार है जिसमे महिलाओं को शासकीय सेवक के रूप में उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है देखना यह है कि इस योजना से आगनबाडी कार्यकर्ता सहायिका को शासकीय सेवक के रूप कब तक लिया जाएगा ।चार साल के लम्बे अन्तराल के बाबजूद इनके मानदेय की राशि बढाने के लिए केंद्र सरकार व राज्य सरकार ने कोई विचार नहीं किया है ।माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद भी इन्हें ग्रेजुटी नहीं दी गयी ।श्रम कानूनों के अन्तर्गत इन्हे श्रमिक मानने का कोई प्रावधान नहीं किया गया है ।जबकि आगनबाडी कार्यकर्ता सहायिका की सेवाएं स्वीकृत पदो पर स्थाई कर्मी के रूप में है । प्रत्येक 6 माह मे बढी महगाई के लिए अन्य सेवको को महंगाई भत्ता बढ रहा है किन्तु इन्हे यह भी लाभ नहीं मिल रहा है । विगत वर्ष मार्च अप्रैल में हडताल अवधि का मानदेय लगभग एक माह का कटा हुआ है उसे भी आज तक नही दिया गया है ।कोरोना काल के कठिन समय में द्वार द्वार सेवा के बाबजूद 10000 रूपये के भुगतान से अभी तक बन्चित रखा गया है । विभिन्न प्रकार की आर्थिक उपलब्धता से बन्चित रखने के पीछे पद का मानसेवी व मानदेय भुगतान पर निर्णय को रोकने के लिए उपयोग किया जाना है जबकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद स्पष्ट किया गया है कि इनकी सेवाए स्थाई है व पद भी स्थाई रूप से स्वीकृत है ।सन्गठन का मानना था कि मानसेवी व मानदेय दोनों शब्दों को हटाकर स्थाई कर्मी के रूप मे नियमित कर्मचारी बनाने की प्रक्रिया पूर्ण की जाय अन्यथा यह प्रदर्शन एक बडे आन्दोलन का आगाज है ।

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