'अलग-थलग' और विदेश में मौजूद राहुल गांधी ने प्रशांत किशोर के संदेह को और बढ़ाया : सूत्र - Congress and PK News

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नई दिल्ली: प्रशांत किशोर के मन में यह गहरा संदेह था कि पार्टी को पुनर्जीवित करने से जुड़े उनके कठोर निर्णय़ों में कांग्रेस नेतृत्व ने पर्याप्त गंभीरता से लिया है. उनके नजदीकी सूत्रों ने दोनों पक्षों के बीच वार्ता टूटने औऱ उनके पार्टी से न जुड़ने के आधिकारिक ऐलान के बाद ये जानकारी दी. हालांकि कांग्रेस ने अभी भी ये कहा है कि उसकी पार्टी के दरवाजे और खिड़कियां हर उस शख्स के लिए खुले हैं, जो पार्टी से जुड़ना चाहते हैं. पार्टी नेता पवन खेड़ा ने कहा, हम एक राजनीतिक दल हैं और हम पार्टी में बदलाव की प्रक्रिया से गुजर रहे हैं औऱ निश्चित तौर पर हम ऐसे आवश्यक बदलाव करेंगे, जो कार्यकर्ताओं और नेताओं की उम्मीदों के अनुरूप हों. चुनावी रणनीतिकार के नजदीकी सूत्रों का कहना है कि उन्होंने ऐसा महसूस नहीं किया कि कांग्रेस औऱ उसके नेतृत्व ने उनके सुझावों को पर्याप्त गंभीरता से लिया है. जबकि वो उनकी योजना का समर्थन करते हुए प्रतीत हो रहे थे.
प्रशांत किशोर या पीके के लिए सबसे बड़े तर्कों में से एक था कि राहुल गांधी ऐसे वक्त विदेश यात्रा पर थे, जब कांग्रेस निर्णायक बदलाव की प्रक्रिया के मुहाने पर थी. कांग्रेस के शीर्ष निर्णय़कारी नेताओं में से एक राहुल गांधी सक्रियता की बजाय अलग-थलग प्रतीत हुए, पीके से जुड़े सूत्रों ने ये कहा. उन्होंने ऐसे समय तय  विदेश यात्रा पर जाना निश्चित किया, जब वो इसको टाल सकते थे, जब पार्टी अहम मोड़ पर थी. सूत्रों ने कहा कि राहुल गांधी का कथित अलगाव उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा के उत्साह के विपरीत था, लेकिन यह पर्याप्त नहीं था.
चर्चा के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी मौजूद रहीं. हालांकि सामान्य तौर पर कांग्रेस के नेता उनके सुझावों से सहमत नजर आए, लेकिन पीके की शंका हर कदम पर बनी रही. सूत्रों ने यह भी कहा कि प्रशांत किशोर के विचारों औऱ उनके पार्टी में शामिल होने को लेकर कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं द्वारा संदेह का सुर सामने आया, साथ ही उनके द्वारा पेश सुधारों को लेकर उनमें घबराहट देखी गई, जो आज नहीं तो कल उन नेताओं की मजबूत स्थिति को खतरे में डाल देती.

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